ग़ज़ल
राही को उसकी राह दिखाती हैं उंगलियाँ ,
धरती पकड़ के राह बनाती हैं उंगलियाँ।
धरती पकड़ के राह बनाती हैं उंगलियाँ।
दुनियाँ में जो आया हो कुछ रोज़ ही पहले ,
ऊँगली पकड़ के रिश्ता बनाती हैं उंगलियाँ।
ऊँगली पकड़ के रिश्ता बनाती हैं उंगलियाँ।
वेद-पुराण या क़ुरआन या गीता से ग्रन्थ हों ,
कलम से पहला अंक लिखाती हैं उंगलियाँ।
कलम से पहला अंक लिखाती हैं उंगलियाँ।
आँखों में धनक कान में जल-तरंग की लहरें ,
कच्ची उमर में जब भी छू जाती हैं उंगलियाँ।
कच्ची उमर में जब भी छू जाती हैं उंगलियाँ।
आँचल को बार बार खींच अलकों को संवारें ,
इक फूल थमा दिल को लुभाती हैं उंगलियाँ।
इक फूल थमा दिल को लुभाती हैं उंगलियाँ।
पूरा गगन हँसा और इक रंगोली छा गई ,
हल्दी हिना से हाथ सजाती हैं उंगलियाँ।
हल्दी हिना से हाथ सजाती हैं उंगलियाँ।
फाल्गुन में भी सावन की बौछार रसभरी ,
गालों पे जब रंग लगाती हैं उंगलियाँ।
गालों पे जब रंग लगाती हैं उंगलियाँ।
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